देखे – यहाँ मुख्यमंत्री जनकल्याण अभियान शिविर के हाल,अधिकारियो कि खाली कुर्सियां देख घर लौट रहे लोग, जबकी सांसद के जन्मदिन पर लुटाया था शिविर के नाम पर करोडो रूपये, सबाल उठना लाजमी हे,,,,,
दमोह – दमोह सचमुच अजब और दमोह सचमुच गजब है, खासकर हटा बिधानसभा कि बात कि जाये तो यहाँ बिधायकों कार्यलयों के खर्च से लेकर कमीशन के रूप मे पूरा एक मेंन्यु कार्ड इन दिनों चर्चाओ मे फेमस है, सहाय यही है बजह है कि हटा बिधानसभा मे मुख्यमंत्री जनकल्याण अभियान के शिविर वही सफल और पूरी दम ख़म से लगाए जाते है, जहा खुद हटा बिधायक महोदया मौजूद हो, और यह हम नहीं कह रहें बल्कि आज पटेरा जनपद पंचायत अंतर्गत आने वाले ग्राम मझगुवां पतोल मे लगाए गए मुख्यमंत्री जनकल्याण अभियान शिविर मे अधिकारी कर्मचारियों से पड़ी खाली कुर्सियो को देख स्थानीय लाभ लेने कि उम्मीद मे आने वाले मायूस होकर लौटने को मजबूर दिखाई दे रहें है,तो चलिए बाकिफ कराते है आपको हकीकत से,,,
दरअसल मझगुवां ग्राम पंचायत के शासकीय प्राथमिक शाला मझगुवां पतोल मे मुख्यमंत्री जनकल्याण अभियान अंतर्गत शिविर का आयोजन किया गया, वही शिविर लोगो को प्रदेश सरकार तथा केंद्र सरकार कि योजनाओं से बंचित लोगो को लाभ दिलाना उद्देश्य होता है, मगर जिन अधिकारियो के कंधो पर उन योजनाओं को हितग्राहियो तक लाभ पहुंचाने कि जिम्मेदारी होती है, वही अधिकारी और कर्मचारी इस शिविर से नदारद नजर आ रहें है,जबकि कहा जाता है कि शिविर का सुभारम्भ सुवह करीब 10.30 से होता है, मगर ताजुब कि बात तो यह है कि,दोपहर के 1.30 बज चुके है और शिविर लगभग समापन कि और है, मगर यहाँ अधिकारी कर्मचारियों से कुर्सियां खाली पड़ी नजर आ रही है, बात कि जाए यहाँ पर मौजूद बिभागीय अधिकारियो कि तो, मोके पर ग्राम पंचायत के रोजगार सहायक तथा पटवारी और स्थानीय उनके सहायक़ दो लड़के तथा बिजली बिभाग से एक कर्मचारी मौजूद नजर आ रहा है, वही शिविर के हाल देखकर स्थानीय लोग मायूस होकर घऱ लौट रहें है,जबकि ज्ञात हो पिछले दिनों इसी पटेरा जनपद पंचायत अंतर्गत आने वाले ग्राम रनेह मे भी इसी प्रकार केन बेतवा लिंक परियोजना के नाम से मेगा शिविर लगाया गया था, जिसमे करोडो रूपये खर्च कर दिए गए, बजह उसकी सिर्फ यही थी कि,सत्ताधारी पार्टी के सांसद राहुल लोधी का उस दिन जन्मदिन था, और वहा भी शिविर मे खाली पड़ी कुर्सियो को स्कूली छात्राओं से भर दिया गया था, जो काफी चर्चाओ मे रहा है, बहरहाल ये भाजपा है, दिखाई कुछ और देता और हकीकत कुछ और होती, बिधायक से लेकर अधिकारियो 30 परसेंट कमिसन के खेल से अगर किसी को कभी फुर्सत मिले तो शायद जमीनी हकीकत देखकर लोगो कि समस्याओ को समझा जा सकता है
