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पटेरा – ओलावृष्टि से तबाह हुए किसान, प्रशासनिक अमला और कांग्रेस नेता पहुंचे मौके पर – मुआवजे पर गरमाई सियासत!

ओलावृष्टि से तबाह हुए किसान, प्रशासनिक अमला और कांग्रेस नेता पहुंचे मौके पर – मुआवजे पर गरमाई सियासत,,,,?

पटेरा – हाल ही में शुक्रवार दोपहर से शाम तक हुई भारी ओलावृष्टि से किसानों की फसलें तबाह हो गई हैं। इस आपदा का जायजा लेने के लिए दमोह कलेक्टर सुधीर कुमार कोचर स्वयं प्रभावित क्षेत्रों में पहुंचे और किसानों से मुलाकात कर हालात की जानकारी ली। उन्होंने मौके पर मौजूद राजस्व विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए कि जल्द से जल्द सर्वे पूरा कर रिपोर्ट सौंपी जाए, ताकि किसानों को राहत राशि प्रदान की जा सके। कलेक्टर ने किसानों को हरसंभव मदद का भरोसा दिया, लेकिन सवाल यह उठता है कि आखिर कब तक किसान सिर्फ आश्वासन के भरोसे बैठे रहेंगे?

मुआवजे पर गरमाई राजनीति, कांग्रेस नेता राजा पटेरिया ने की 50 हजार प्रति एकड़ की मांग,,,

कलेक्टर के दौरे के दौरान ही पूर्व मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राजा पटेरिया भी मौके पर पहुंचे। उन्होंने किसानों की स्थिति पर चिंता जताई और प्रदेश सरकार से प्रत्येक किसान को 50,000 रुपये प्रति एकड़ मुआवजा देने की मांग की। पटेरिया ने कहा कि “यह कोई प्राकृतिक आपदा नहीं, बल्कि सरकारी उदासीनता का परिणाम है। जब तक उचित मुआवजा नहीं मिलेगा, तब तक किसानों का हक छीनने नहीं दिया जाएगा।”

सरकारी तंत्र पर लोग उठा रहे सवाल – कब मिलेगा मुआवजा?

गौरतलब है कि हर बार प्राकृतिक आपदा के बाद प्रशासन के अधिकारी मौके का निरीक्षण तो कर लेते हैं, लेकिन किसानों को मुआवजा मिलने में महीनों लग जाते हैं। इस बार भी यही चिंता किसानों के चेहरों पर साफ झलक रही थी। सवाल यह भी उठ रहा है कि क्या प्रशासन जल्द से जल्द सर्वे कराकर किसानों को राहत देगा या फिर यह सिर्फ औपचारिकता बनकर रह जाएगी?

गांवों में आक्रोश, किसान बोले – सिर्फ घोषणाओं से नहीं भरेगा पेट!

वही किसानों का कहना है कि हर बार सर्वे के नाम पर सिर्फ कागजी खानापूर्ति की जाती है और उन्हें उचित मुआवजा नहीं मिलता। एक किसान ने गुस्से में कहा, “हमारी फसलें पूरी तरह से बर्बाद हो गई हैं, अब हमारे परिवार का गुजारा कैसे चलेगा? प्रशासन सिर्फ आश्वासन दे रहा है, लेकिन हमें मुआवजा कब मिलेगा, इसका कोई जवाब नहीं है!”

क्या वाकई मिलेगा किसानों को 50,000 रुपये प्रति एकड़ का मुआवजा,,,?

राजा पटेरिया की इस मांग के बाद अब सियासत गरमा गई है। भाजपा सरकार पर दबाव बढ़ने लगा है कि आखिर कब और कितना मुआवजा किसानों को मिलेगा। प्रशासन ने सर्वे के बाद उचित मुआवजा देने की बात कही है, लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या किसानों को उनकी उम्मीदों के मुताबिक सहायता मिलेगी या फिर यह सिर्फ एक और चुनावी मुद्दा बनकर रह जाएगा?

अब देखना यह होगा कि सरकार और प्रशासन किसानों की इस पीड़ा को कितनी गंभीरता से लेता है और क्या वाकई राहत राशि किसानों तक पहुंच पाती है या फिर यह भी सिर्फ एक और राजनीतिक बयानबाजी बनकर रह जाती है!

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Author: Khabarblast

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