दमोह – दमोह जिले के ऐतिहासिक कुंडलपुर में माता रूकमणि मंदिर परिसर के सौंदर्यीकरण के नाम पर करोड़ों की सरकारी राशि और प्रकृति की संपदा की खुलेआम लूट का शर्मनाक खेल सामने आया है। जब स्थानीय लोगों ने इस भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाई, तो सत्ता और वर्दी के गठजोड़ ने उन्हें ही अपराधी बना दिया। आधी रात को हटा एसडीओपी प्रशांत सुमन के आदेश पर एससी/एसटी एक्ट जैसी गंभीर धाराओं में झूठी एफआईआर दर्ज कराई गई, जिससे पूरा इलाका आक्रोशित है।
क्या मंदिर सौंदर्यीकरण बना मुनाफाखोरी का अड्डा,,,
करीब चार करोड़ रुपए की स्वीकृति के साथ मंदिर परिसर के सौंदर्यीकरण का कार्य शुरू हुआ था। लेकिन मौके पर सौंदर्यीकरण के नाम पर अवैध खनन का नंगा नाच किया गया। सूत्रों के मुताबिक, पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष शिवचरण पटेल उर्फ बड्डा ने अपनी मशीनों से रातोंरात पहाड़ों को छलनी कर डाला और मुरम की ताबड़तोड़ बिक्री की गई।
स्थानीय लोगों ने जब इस अवैध गतिविधि का विरोध किया, तो बजाय कार्रवाई के, खनिज विभाग और जिला प्रशासन ने चुप्पी साध ली। सवाल यह भी उठता है कि आखिर करोड़ों के सरकारी काम पर निगरानी रखने वाले अधिकारी कहां सो रहे थे?
,,विरोध करने पर रचाया षड्यंत्र,,
20 अप्रैल की रात, जब बड्डा की मशीनें फिर से कुंडलपुर लायी गईं, तो स्थानीय ग्रामीणों ने उन्हें रोक दिया। बौखलाए बड्डा ने पुलिस का सहारा लिया और आधी रात को पटेरा थाने में एक आदिवासी युवक को प्रार्थी बनाकर, विरोध करने वाले ग्रामीणों पर एससी/एसटी एक्ट के तहत संगीन धाराओं में झूठी एफआईआर दर्ज करा दी।
गौर करने वाली बात यह है कि जिस घटना का वीडियो सुबह 10 बजे का है, उसकी एफआईआर रात 1 बजे दर्ज की गई। इससे साफ जाहिर होता है कि साजिश रची गई थी, ताकि भ्रष्टाचार के खिलाफ उठी आवाज को दबाया जा सके।
,,,,प्रशासन बना मूकदर्शक,,
मजेदार बात यह रही कि स्थानीय लोग कई बार कलेक्टर और खनिज विभाग को लिखित और मौखिक रूप से शिकायतें करते रहे, लेकिन न तो कोई जांच हुई और न कोई कार्रवाई। इससे साफ है कि कहीं न कहीं ऊंचे स्तर पर भ्रष्टाचारियों को संरक्षण मिल रहा था।जब सरकार द्वारा नियुक्त अधिकारी ही सत्ता के दबाव में जनहित की बलि चढ़ा दें, तो आम जनता की उम्मीदें कैसे बचेंगी?
,,,सवालों के घेरे में बड्डा की भूमिका,,,
एफआईआर में दीपू उर्फ पंकज सैनी पर रेत चोरी का आरोप लगाया गया, लेकिन बाद में सामने आया कि यह रेत सरपंच की थी और पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष बड्डा की सहमति से उठाई गई थी। सरपंच ने इसकी पुष्टि अपने पत्र में भी कर दी। ऐसे में सवाल उठता है कि मंदिर के सरकारी निर्माण कार्य में एक पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष का इतना दखल क्यों? क्या सरकारी राशि की लूट में हिस्सेदारी का खेल चल रहा था?
जागरूक जनता का सवाल – कब जागेगा सिस्टम?,,,
कुंडलपुर कांड ने साफ कर दिया कि अगर भ्रष्टाचारियों के खिलाफ आवाज उठाई जाएगी, तो सत्ता और वर्दी मिलकर जनता को ही कुचलने की कोशिश करेंगी।लेकिन अब सवाल यह है कि क्या दमोह का प्रशासन इस गंभीर मामले में निष्पक्ष जांच कर दोषियों पर कार्रवाई करेगा, या भ्रष्टाचार के इस मंदिर में भी न्याय दम तोड़ देगा?
