हटा विधायक के संरक्षण में गुंडागर्दी का नंगा नाच ? दमोह पुलिस बनी मूकदर्शक! पत्रकार पर हमले ने खोली सत्ता-पुलिस की साठगांठ कि पोल,,,
दमोह/- जिले के हटा क्षेत्र में एक पत्रकार पर विधायक के परिजनों द्वारा किए गए हमले और उसके बाद पुलिस की चुप्पी ने पूरे तंत्र की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह घटना न सिर्फ कानून व्यवस्था पर प्रश्नचिन्ह लगाती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि कैसे सत्ता के प्रभाव में आम नागरिक—यहां तक कि पत्रकार तक—सुरक्षित नहीं हैं।
क्या विधायक के परिजन हैं कानून से ऊपर?,,,
हटा से भाजपा विधायक उमादेवी खटीक के पुत्र प्रिंसदीप खटीक और उनके समर्थकों ने शुक्रवार कि रात पत्रकार जितेंद्र गौतम पर जानलेवा हमला किया, उनका मोबाइल व सोने की चेन लूट ली और थाना परिसर तक में धमकी दी। सवाल यह है कि यदि किसी आम नागरिक ने यह कृत्य किया होता, तो क्या अब तक गिरफ्तारी नहीं हो जाती?
दमोह पुलिस की चुप्पी:- क्या आदेश ऊपर से?
वही हमले के बाद पत्रकार ने हटा थाने में रिपोर्ट लिखवाने की कोशिश की, लेकिन तीन घंटे तक इंतजार के बाद भी एफआईआर दर्ज नहीं हुई। मौके पर पहुंचे ASP ने आश्वासन तो दिया, लेकिन अगले दिन तक भी कार्रवाई नहीं हुई। इससे बड़ा सवाल यह है कि क्या दमोह पुलिस सिर्फ सत्ता के इशारे पर चलती है?
वायरल ऑडियो: SP की भाषा ने खोली पोल,,,
सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक ऑडियो क्लिप में दमोह SP श्रुतकीर्ति सोमवंशी यह कहते सुने गए कि—जब आपको पता होता है कि विधायक इन्वॉल्व हैं, तो आप वीडियो क्यों बनाते हो?”और अगर मे आपके तरफ से उनपर एफ आई आर दर्ज करूंगा तो, उनके द्वारा मुझपर भी दवाव बनाया जायेगा, और तुम पर भी एफ आई आर दर्ज करनी पड़ेगी,,,
यह बयान किसी लोकतांत्रिक व्यवस्था में कार्यरत पुलिस अधिकारी का नहीं लग रहा, बल्कि इस बयान से यह प्रतीत होता हे मानो जनाब जिले के एस पी नहीं, बल्कि सत्ताधारी पार्टी के हटा बिधायक के घर पर कोई मजदूरी का कार्य करने वाले प्रतीत हो रहे हे।
लोकतंत्र की खुलेआम हत्या, पुलिस भी बन गई यहाँ मूक दर्शक ?
यह मामला स्पष्ट रूप से सत्ता, पुलिस और कानून के बीच गठजोड़ का प्रतीक बन गया है। लोकतंत्र में पत्रकार का काम जनता के लिए सच उजागर करना होता है, लेकिन यदि उसकी आवाज को इसी तरह दबाया जाएगा, तो आने वाले समय में सच्चाई दिखाने वाला कोई नहीं बचेगा। वही अब इस घटना के बाद स्थानीय लोग और पत्रकारों कि मांग स्पस्ट तोर पर सामने आने लगी हे, लोगो का कहना हे कि,
1. हटा विधायक के पुत्र व समर्थकों पर तत्काल FIR व गिरफ्तारी हो।
2. दमोह SP को पद से हटाकर जांच की जाए।
3. पत्रकार सुरक्षा कानून को तत्काल प्रभाव से लागू किया जाए।
बहरहाल जो भी हो मगर यह मामला सिर्फ एक पत्रकार का नहीं है,बल्कि यह पूरे लोकतंत्र का अपमान है। आज यदि आवाज नहीं उठी, तो कल हर पत्रकार और नागरिक की कलम और जुबान पर ताला जड़ दिया जाएगा, और सत्ता के नशे मे चूर जनप्रतिनिधियों के आतंक से लोग त्राहि त्राहि करने पर मजबूर नजर आएंगे, जो कही न कही चिंता का विषय बना हुए हे,,,
