पटेरा जनपद मे बवाल: सीईओ ने दर्ज कराई एफआईआर,आरोपित सदस्य ने बताया खुद को निर्दोष, उठे घोटाले के सवाल,2.5 करोड़ की बंदरबांट का आरोप, जनपद पंचायत में मचा घमासान, जांच की मांग तेज
दमोह – दमोह जिले की पटेरा जनपद पंचायत में हुए ताजा विवाद ने प्रशासनिक गलियारों में खलबली मचा दी है। गुरुवार शाम जनपद कार्यालय में हुए कथित बवाल को लेकर शुक्रवार को जनपद पंचायत के सीईओ हालदार मिश्रा अन्य कर्मचारियों के साथ पटेरा थाना पहुंचे और दो लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई। एफआईआर में जनपद सदस्य राजेश पटेल पर कार्यालय में तोड़फोड़, गाली-गलौज और बैटरी चुराने का आरोप लगाया गया है।

हालांकि, इस पूरे घटनाक्रम को लेकर अधिकारियों का रवैया बेहद चौंकाने वाला रहा। मीडिया द्वारा जब हंगामे के पीछे की वजह पूछी गई, तो जनपद में पीपीओ के पद पर कार्यरत अंगद सिंह लोधी ने जवाब देने से इनकार करते हुए कहा कि “वजह गोपनीय है”, जिससे पूरे मामले को लेकर और भी कई सवाल खड़े हो गए।
राजेश पटेल का पलटवार- वीडियो जारी कर बताया खुद को निर्दोष,,
वही इस बीच,मामले में नामजद आरोपित जनपद सदस्य तथा जनपद पंचायत उपाध्यक्ष राजेश पटेल ने खुद का एक वीडियो जारी कर सीधा पलटवार किया है। उन्होंने खुद को निर्दोष बताते हुए अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाए हैं। राजेश पटेल ने दावा किया कि जनपद पंचायत में मनरेगा मद के तहत आए करीब 2.50 करोड़ रुपये को चार ठेकेदारों के बीच बांट दिया गया, जबकि यह राशि हितग्राही मूलक योजनाओं के लिए आई थी।
उन्होंने आरोप लगाया कि जब उन्होंने इस भ्रष्टाचार का विरोध किया, तो अधिकारियों ने मिलीभगत कर उनके खिलाफ झूठा केस दर्ज करवा दिया। राजेश पटेल ने कहा कि वे जनता द्वारा चुने गए प्रतिनिधि हैं और जनता के हक की बात करना उनका अधिकार है, लेकिन उन्हें झूठे केस में फंसाया जा रहा है। बतादे क़ी गुरुवार शाम पटेरा जनपद कार्यालय में कथित तोड़फोड़ व गाली-गलौज की घटना हुई। जिसकी सीईओ हालधर मिश्रा ने शुक्रवार को पटेरा थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई। साथ मे जनपद सदस्य राजेश पटेल पर कार्यालय से इनवर्टर बैटरी चुराने का आरोप भी लगाया गया।
मीडिया से बातचीत में अधिकारी “कारण गोपनीय” बताते रहे।
वही दोनों पक्षों के आरोप-प्रत्यारोपों के बाद अब जनपद पंचायत पटेरा में बड़े घोटाले की आशंका गहराने लगी है। मामले के बाद जनता और सामाजिक संगठनों की मांग है कि इस मामले में उच्च स्तरीय जांच करवाई जाए ताकि सच्चाई सामने आ सके। अब देखना यह होगा कि प्रशासन इस मामले में निष्पक्ष जांच करता है या फिर यह पूरा मामला सिर्फ एफआईआर और बयानबाजी तक ही सीमित रह जाएगा।


























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