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दमोह प्रशासन में फिर बड़ा झोल! आजीविका मिशन के नाम पर फर्जीवाड़े का खुलासा — अधिकारियों के रिश्तेदारों की फर्म से करोड़ों की हेराफेरी

दमोह प्रशासन में फिर बड़ा झोल! आजीविका मिशन के नाम पर फर्जीवाड़े का खुलासा — अधिकारियों के रिश्तेदारों की फर्म से करोड़ों की हेराफेरी,,,

 

दमोह – दमोह जिले में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (NRLM) एक बार फिर सुर्खियों में है। जहां हाल ही में कलेक्टर सुधीर कुमार कोचर ने मिशन की राशि के दुरुपयोग पर बड़ी कार्रवाई करते हुए दो अधिकारियों की संविदा सेवाएं समाप्त कर एफआईआर दर्ज कराई थी, वहीं अब इस मिशन में भ्रष्टाचार का एक और बड़ा खेल सामने आया है। बताया जा रहा है कि मिशन में पदस्थ अधिकारी-कर्मचारियों ने अपने ही परिजनों के नाम पर फर्म बनाकर करोड़ों रुपये का गोलमाल कर दिया।

सूत्रों के अनुसार, “मेसर्स रिचर्ड केयर प्राइवेट लिमिटेड” नाम की एक फर्म, जो छतरपुर की बताई जा रही है, के खाते में 20 लाख रुपये की राशि चरवा उपलब्ध कराने के एवज में ट्रांसफर की गई थी। लेकिन न तो उक्त फर्म ने सामग्री उपलब्ध कराई और न ही पैसे वापस किए। यह राशि 1 जुलाई 2021 को शायका खान के खाते से जारी की गई थी। बताया जा रहा है कि कई बार मौखिक और लिखित रूप से राशि वापसी की मांग की गई, लेकिन अब तक कोई जवाब नहीं मिला।

हाल ही में इस पूरे प्रकरण से जुड़ा एक पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, जिसके बाद आजीविका मिशन में चल रहे फर्जीवाड़े के नए पहलू सामने आने लगे हैं। चर्चाओं का बाजार गर्म है कि इस मिशन में न केवल फर्जी फर्मों को भुगतान किया गया, बल्कि इसमें अधिकारी-कर्मचारियों के परिजनों की मिलीभगत भी शामिल है।

जिले में चर्चाएं जोरों पर हैं कि यदि निष्पक्ष जांच हुई तो आजीविका मिशन का पूरा भ्रष्ट तंत्र सामने आ सकता है, जिसमें करोड़ों रुपये की हेराफेरी का खुलासा होना तय है।

इस मामले में जब दमोह कलेक्टर सुधीर कुमार कोचर से पत्रकारों ने सवाल किया तो उन्होंने कहा,“अजीविका मिशन से जुड़े अखवारो कि खबरों कि कटिंग आई है, वो जानकारी सीईओ जिला पंचायत को भेज दी है। बाकी कोई लिखित शिकायत मेरे पास नहीं आई है,जांच जारी है, और जो भी दोषी पाया जाएगा, किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा।”

बावजूद इसके, प्रशासनिक हलकों में यह सवाल उठ रहा है कि क्या जांच केवल कागजों तक सीमित रहेगी, या फिर सच में उन “सफेदपोशों” तक पहुंचेगी जो इस भ्रष्टाचार के असली सूत्रधार हैं।

जनता का सवाल है —

👉 जब मिशन गरीब महिलाओं और ग्रामीण स्वावलंबन के लिए है, तो आखिर इसका पैसा अफसरों और उनके परिजनों की जेब में कैसे पहुंच गया?

👉 क्या दमोह प्रशासन इस बार वाकई में कठोर कार्रवाई करेगा या फिर यह मामला भी “जांच जारी है” की फाइलों में दब जाएगा?

बहरहाल जों भी हो मगर इस मामले ने दमोह मे चल रहे फर्जीबाड़े के खेल को उजागर कर कई सबाल खड़े कर दिए है, तो जल्द मिलेंगे इसी मामले मे ताज़ा अपडेट्स के साथ क्योंकि पिक्चर अभी बाकी है!,,,, जितेन्द्र गौतम दमोह 

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Author: Khabarblast

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