अभि तो यह शुरुवात है

दमोह – कहते ही भूखे भजन न होय गुसाईं,,,,,,दमोह में पीएम ड्यूटी में भूख से बेहाल हुए पुलिसकर्मियों के हाल, भोजन तो दूर पानी भी नहीं हुआ नसीब पुलिस के पीएम ड्यूटी व्हाट्सएप ग्रुप ने खोली पोल ?

कहते ही भूखे भजन न होय गुसाईं,,,,,,दमोह में पीएम ड्यूटी में भूख से बेहाल हुए पुलिसकर्मियों के हाल,भोजन तो दूर पानी भी नहीं हुआ नसीब पुलिस के पीएम ड्यूटी व्हाट्सएप ग्रुप ने खोली पोल ?

दमोह – दमोह में 19 अप्रैल को आए देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आगमन की ड्यूटी में लगे हजारों पुलिसकर्मियों के हाल भूख और प्यास से बेहाल हो चुके थे। यह हम नहीं कह रहे बल्कि यह पीएम ड्यूटी मैं तैनात पुलिस कर्मियों का दमोह पुलिस के द्वारा एक व्हाट्सएप ग्रुप बनाया गया था ,जिसने इस बात की पूरी तरह से पोल खोल कर रख दी, की आखिर ड्यूटी में तैनात पुलिस कर्मियों को ना ही भोजन नसीब हुआ ना ही पानी,और आसमान से आग उगलती तेज धूप में बेचारे अपने कर्तव्य पथ पर ड्यूटी करने के लिए मजबूती के साथ खड़े रहे थे। मगर जिस तरह से उनकी ड्यूटी का समय गुजरा है, वह कहीं ना कहीं चिंता का विषय बना हुआ है। 

दरअशल मामला दमोह का है, जहां पर 19 अप्रैल को देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दमोह में भाजपा के पक्ष में माहौल बनाने के लिए चुनावी आम सभा को संबोधित करने के लिए पहुंचे थे। जहां पर करीब 2 दिन पहले से सुरक्षा में तैनात पुलिस कर्मियों के हाल भूख और प्यास से बेहाल हो चुके थे। वही सूत्रों की माने तो दमोह पुलिस विभाग के द्वारा एक व्हाट्सएप ग्रुप जो पीएम ड्यूटी को लेकर बनाया गया था,जिसमें पुलिसकर्मियों के द्वारा लगातार मामले को लेकर शिकायते भी की गई। और दमोह पुलिस विभाग के उच्च अधिकारियों के द्वारा बनाई गई व्यवस्थाओं पर सवालिया निशान खड़े कर दिए गए। वहीं सूत्रों की माने तो कुछ पुलिसकर्मियों के द्वारा तो पीएम ड्यूटी को लेकर बनाए गए व्हाट्सएप ग्रुप पर खुलकर लिखा गया था कि, एक निवाला चावल का और दो निवाले रोटी के ही नसीब हुए हैं। साथ में एक दिन पहले आए खाना के डिब्बों की तस्वीरे भी शेयर की गई थी। जबकि जिस दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यानी 19 अप्रैल को दमोह पहुंचे थे। उस दिन सुबह से लेकर उनके जाने तक ड्यूटी में तैनात पुलिसकर्मी भूखे ही बिलखते रहे आए और उनके लिए खाना भी नसीब नहीं हुआ। वही इस पूरे घटना की जानकारी ड्यूटी में तैनात सैकड़ो पुलिस कर्मियों के द्वारा मीडिया के सामने रखी गई। हालांकि उन्होंने अपना नाम ओपन न करने की बात कही और इस पूरे घटनाक्रम को बारीकी से बताया। वहरहाल जो भी हो मगर एक बात तो तय है कि, क्या पुलिस विभाग के तमाम उच्च अधिकारी राजनीतिक पार्टियों के नेताओं को संरक्षण देने के चक्कर में अपने ही विभाग को भूल जाता हैं। या फिर व्यवस्थाएं बनाने और खाना पीने की सामग्री को लेकर आए हुए फंड का बंदर बाट कर लिया जाता है। यह तो कुछ कहा नहीं जा सकता। बहरहाल जो भी हुआ है वह कहीं ना कहीं दमोह पुलिस विभाग के दामन पर एक बड़ा दाग लगाकर जरूर गया है। क्योंकि इस ड्यूटी में न केवल दमोह बल्कि आसपास के क्षेत्र और भोपाल जैसे महानगरों से पुलिसकर्मी और आला अधिकारी ड्यूटी के लिए आए हुए थे।और उनके द्वारा किए गए मामले में खुलासे तथा उनके द्वारा सुनाई गई दस्ता दमोह जिले की बदनामी का कारण भी बन गया। जो कही न कही चर्चाओं का विषय जरूर बन गया।

 

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Author: Khabarblast

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