दमोह – ग्राम कुंडलपुर में स्थित ऐतिहासिक माता आम्बिका मंदिर के सौंदर्यीकरण कार्य में भारी अनियमितताएं सामने आई हैं। करीब ₹4.13 लाख की लागत से बन रही बाउंड्रीवाल और अन्य कार्यों में घटिया सामग्री, पत्थरों की अवैध बिक्री, और बाहरी मजदूरों की तैनाती जैसे गंभीर आरोप सामने आए हैं। ग्रामवासियों ने प्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए कलेक्टर कार्यालय में लिखित शिकायत दर्ज कराई है।
शिकायतकर्ताओं के अनुसार, मंदिर सौंदर्यीकरण का कार्य ग्राम पंचायत और जिला पंचायत के कर्मचारी शिवकरण पटेल की देखरेख में हो रहा है। बताया जा रहा है कि परियोजना से जुड़े मटेरियल जैसे टाइल्स, बदर पाइप आदि सरपंच के घर में निजी रूप से रखे गए हैं, जिससे पारदर्शिता पर सवाल उठते हैं।
ग्रामवासियों को काम से बाहर किया गया, मजदूरी मिल रही है ‘बाहरी लोगों’ को!
स्थानीय ग्रामीणों का आरोप है कि उनके गांव में रोजगार के अवसर देने की बजाय बाहरी मजदूरों और मशीनों का उपयोग किया जा रहा है। जबकि सरकार की योजनाओं में “स्थानीय श्रमिकों को प्राथमिकता” दी जानी चाहिए थी।
“मीडिया से कुछ और, जनता से कुछ और” – दोहरी भाषा में भ्रम फैला रहे जिम्मेदार,,
ग्रामीणों का यह भी कहना है कि मीडिया के सामने प्रशासन इसे आर.ई.एस. (Rural Engineering Services) द्वारा स्वीकृत कार्य बता रहा है, जबकि आम जनता को इसे कलेक्टर महोदय की योजना बताकर भ्रमित किया जा रहा है।
रातों-रात निकाले गए पत्थर, हरे-भरे पेड़ काटे, पुरानी बाउंड्री का नया बिल!
शिकायत में यह भी उल्लेख किया गया है कि मंदिर के पास स्थित पहाड़ से रातों-रात पत्थरों की ट्रॉली निकाली गई, जिससे प्राकृतिक संसाधनों को नुकसान हुआ। वहीं, आम और पीपल जैसे पेड़ों को काटकर उनके स्थान पर बाउंड्री खड़ी कर दी गई है। पहले से मौजूद पत्थरों का दोबारा उपयोग कर नए पत्थरों का बिल भी लगा दिया गया है, जो स्पष्ट तौर पर घोटाले की ओर इशारा करता है।
रकम का कोई हिसाब नहीं, निर्माण का जिम्मेदार कौन – सब अज्ञात!
ग्रामवासियों ने यह भी सवाल उठाया है कि कार्य किस एजेंसी द्वारा कराया जा रहा है, इसका कोई ठोस दस्तावेज या सूचना उपलब्ध नहीं है। खर्च की गई राशि, कार्य की गुणवत्ता और शासन से मिली मंजूरी – सब कुछ संदेह के घेरे में है।
,,ग्रामीणों की मांग – हो उच्चस्तरीय जांच, दोषियों पर सख्त कार्रवाई,,
आवेदनकर्ताओं ने शासन से मांग की है कि इस पूरे मामले की वरिष्ठ अधिकारियों या समिति द्वारा जांच कराई जाए, ताकि दोषियों पर सख्त कार्रवाई हो सके और शासन के धन का दुरुपयोग रोका जा सके।
